ट्रिलियन इकॉनमी और दद्दा
अरे ओ बल्लू,
सुना है बजट आ रो है
अर तू रजाई में सिमट रो है
ट्रिलियन का होवै है जे तो बता
म्हारे गाम में तो बैलन गईयन का हत्ता
अरे दद्दा अरब का खरब का पति
तोये कौन दे रा है, किन्ने दी मती
मोय कौन देओ, काए की गती
वो है रइ ना, सिक्कन की सेनापति
वाये कह री,
अरे कछु ना, बस पइसन की बात
पर जे ट्रिलियन अटक गया यार
पइसे आएंगे, तो कर लीजो प्यार
महँगो सो ससुर, नोटन की धार
कल ते भौरें उठ जइयो भइया
पइसे बालो ढूंढीयो अद्धा पइया
पट्ट देनी सी पां पकड़ लीजो
झट्ट देनी सी मांग भर दीजो
अरब को ख़रब को कोई पती
जाकी गाड़िन में होए लाल बत्ती
आखिर ट्रिलियन होए पे अपनों भी हक़ है
तोए का भारत सरकार पे कोई सक है
Kumawat Meenakshi Meera
11-Feb-2021 02:26 PM
Achcha likha
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kapil sharma
02-Feb-2021 12:56 AM
Bohut achchi kavita likhi aapne Rahul ji .
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rahul mishra
02-Feb-2021 02:14 PM
बोहोत आभार कपिल जी
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